व्यभिचार तीसरे व्यक्ति द्वारा किसी की पत्नी के साथ किया जाता है-हाई कोर्ट
00 सत्र न्यायालय का आदेश निरस्त
बिलासपुर। सत्र न्यायालय द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के तहत व्यभिचार का दोषी ठहराए जाने के आदेश को हाईकोर्ट ने निरस्त किया है।
प्रकरण के अनुसार पीड़िता ने 10 जनवरी, 2015 को अपीलकर्ता के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया कि छह साल पहले, अपीलकर्ता ने उससे गुप्त तरीके से शादी की थी। उसने वादा किया था कि उसकी छोटी बहन की शादी होगी, तो वह रीति-रिवाजों का पालन करते हुए उससे फिर से शादी करेगा। शादी के बाद पांच वर्षों में वह कई बार गर्भवती हुई, लेकिन हर बार आरोपी उसका गर्भपात करा देता था। इसके बाद महिला को पता चला कि अपीलकर्ता ने डेढ़ साल पहले दूसरी महिला से शादी कर ली है। उपरोक्त आरोपों के आधार पर आरोपी के खिलाफ धारा 376 के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई।
जांच पूरी होने के बाद सत्र न्यायाधीश, धमतरी के समक्ष आरोप पत्र दायर किया गया। शुरू में धारा 376 के तहत बलात्कार के आरोप तय किए, सुनवाई के बाद धारा 497 के तहत व्यभिचार का दोषी ठहराया गया। फैसले से असंतुष्ट आरोपी ने इसके विरुद्ध हाईकोर्ट में आपराधिक अपील प्रस्तुत की। धारा 497 को देखते हुए, न्यायालय ने कहा कि व्यभिचार एक अपराध है जो किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा किसी व्यक्ति की पत्नी के साथ किया जाता है। कोर्ट ने रेखांकित किया कि वर्तमान मामले में, पीड़िता के पति ने किसी भी अदालत के समक्ष व्यभिचार की शिकायत नहीं की है।
