सड़क दुर्घटना में घायल युवक को मिलेगा दस लाख मुआवजा
0 पुलिस बस की लापरवाही से युवक का कट गया पैर,
0 राज्य शासन की अपील खारिज
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सड़कदुर्घटना में घायल युवक को दिए गए मुआवजे को चुनौती देने वाली राज्य सरकार और पुलिस विभाग की अपील को खारिज कर दिया है ।
न्यायमूर्ति संजय कुमार जायसवाल की एकलपीठ ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी) बिलासपुर के उस फैसले को सही ठहराया, जिसमें पीड़ित युवक सुरेश चंद्राकर को 10.60 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।
पीड़ित युवक सुरेश चंद्राकर 23 दिसंबर 2014 को अपनी मोटरसाइकिल से उसलापुर ओवरब्रिज के पास जा रहा था, तभी तेज रफ्तार पुलिस बस (सीजी-03-4968) ने उसे पीछे से टक्कर मार दी। दुर्घटना इतनी गंभीर थी कि युवक का बायां पैर घुटने से नीचे कट गया और वह 65 प्रतिशत स्थायी विकलांग हो गया। घटना के बाद पीड़ित ने एमएसीटी बिलासपुर में मुआवजे का दावा प्रस्तुत किया था।
ट्रिब्यूनल ने माना बस की लापरवाही-
दावे की सुनवाई करते हुए ट्रिब्यूनल ने मेडिकल रिपोर्ट, पुलिस दस्तावेज और गवाहों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि दुर्घटना बस चालक की लापरवाही से हुई थी। इस आधार पर सुरेश चंद्राकर को 10.60 लाख का मुआवजा देने का आदेश जारी किया गया था। आदेश के खिलाफ राज्य शासन व पुलिस ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर कहा कि दुर्घटना बस से नहीं हुई और बाइक चालक स्वयं लापरवाही कर रहा था। उनके अनुसार, बस चालक पर कोई आरोप नहीं था और बस से दुर्घटना होने का कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
टक्कर के कारण ही पीड़ित को गंभीर चोट आई
हाईकोर्ट ने अपील पर सुनवाई करते हुए पाया कि, दुर्घटना स्थल पर पीड़ित की मोटरसाइकिल क्षतिग्रस्त अवस्था में मिली थी। मेडिकल रिपोर्ट से स्पष्ट है कि, टक्कर के कारण ही पीड़ित को गंभीर चोट आई। पुलिस बस के चालक ने कोई रिपोर्ट नहीं की, न ही अपनी ओर से कोई गवाही दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि दुर्घटना के बाद पीड़ित की कार्यक्षमता लगभग समाप्त हो गई है और यह स्पष्ट है कि वह जीवनभर इस चोट का असर भुगतेगा। जस्टिस संजय कुमार जायसवाल ने कहा, मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने जो निष्कर्ष निकाला वह साक्ष्यों पर आधारित और न्यायसंगत है, इसमें किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप उचित नहीं है। इस आधार पर कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए मुआवजे की राशि को बरकरार रखा।