जिला न्यायालय चर्चित घोटाला, आरोपी तत्कालीन लिपिक 25 वर्ष बाद दोषमुक्त हुआ
00 लिपिक पर जुआ व सट्टा का राजसात रकम मालखाना में जमा नहीं कर स्वयं रखने का था आरोप
बिलासपुर। जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में जुआ एक्ट के तहत जप्त रकम को मालखाना में जमा नहीं कर दाण्डिक प्रस्तुत लिपिक ने स्वयं रख लिया। 20 नवंबर 2000 को तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश के निर्देश पर न्यायालय अधीक्षक ने सिविल लाइन थाना में रिपोर्ट लिखाई। सिविल लाइन पुलिस ने विवेचना उपरांत तत्कालीन दाण्डिक निष्पादन लिपिक हेमन्त ताम्रकार को गिरफ्तार कर 24 फरवरी 2001 को धारा 409 के तहत चालान पेश किया। जुलाई 2002 से आरोप पर सुनवाई प्रारंभ हुई। लिपिक पर सितंबर 1998 के पूर्व व बाद तक विभिन्न थानों से जुआ एक्ट के तहत राजसात की गई कुल रकम 10194 रुपये मालखाना में जमा नहीं कर खुद के लिए उपयोग करने का आरोप लगाया गया था।
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2002 को पेश मामले में 25 वर्ष बाद हुई अंतिम सुनवाई
पुलिस द्वारा अभियोगपत्र पेश किए जाने के बाद जुलाई 2002 से सुनाई प्रारंभ हुई। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने 20 गवाहों व 11 दस्तावेज का प्रतिपरीक्षण किया। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्रीमती सविता सिंह ठाकुर ने 9 जनवरी 2025 को आदेश पारित कर आरोपी हेमंत ताम्रकार को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया है। आरोपित की ओर से अधिवक्ता सुरेश पाण्डेय, सतीश ठाकुर व राजेन्द्र श्रीवास ने पैरवी की है।
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दोषमुक्त करने का आधार
सुनवाई के दौरान गवाह ने उपरोक्त प्रॉपर्टी रजिस्टर के संबंध में पूछे जाने पर कहा रजिस्टर उससे जप्त नहीं हुआ था। जप्ती पत्रक के अनुसार प्रकरणों में संपत्ति पर्चा एवं सम्पति जमा हो जाने की अभिस्वीकृति मालखाना के कर्मचारी द्वारा दी गई थी। फर्द चालान में माल ले जाने वाले हेड मुहर्रिर के हस्ताक्षर व थाने का सील नहीं है। जुआ का प्रकरण समरी प्रकृति का होता है, आरोपी द्वारा जुर्म स्वीकार किये जाने पर उसी दिन समाप्त होता है। आरोपी द्वारा सम्पत्ति पर्चा जमा किये गए अथवा नहीं इस बात की पुष्टि हेतु मालखाना का रजिस्टर विवरण पेश किया जाना था। उपरोक्त आधार पर आरोपी के विरुद्ध आरोप सिद्ध नहीं पाया गया है।