महिला स्वास्थ्य कर्मी योगमाया हत्याकांड के आरोपियों की सजा हाई कोर्ट ने भी यथावत रखा
00 डकैतों ने फावड़ा से योगमाया, उसके पति व दो मासूम बच्चों की निर्मम हत्या की
०० नार्को टेस्ट से वारदात का पुरा खुलासा हुआ था
बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डीबी ने महासमुंद जिले के ग्राम किसनपुर उप स्वास्थ्य केन्द्र में महिला स्वास्थ्य कर्मी योगमाया साहू, उसके पति चेतन साहू दो मासूम बच्चे तन्मय एवं कुंणाल की निर्मम हत्या कर डकैती डालने के आरोपियों की सजा के खिलाफ पेश अपील को खारिज कर जिला न्यायालय के आदेश को अथावत रखा है। कोर्ट ने अपने आदेश में टप्पणी करते हुए कहा कि एक आरोपी द्बारा दिया गया कबूलनामा पर्याप्त नहीं है अन्य आरोपियों के खिलाफ सबूत और दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है केवल तभी आरोप लगाया जाए जब दूसरे के खिलाफ अन्य सबूत उपलब्ध हों अभियुक्त और न्यायालय का मानना है कि अपराध स्वीकार करना चाहिए अन्य सबूतों का समर्थन करते थे, तभी अपराध की स्वीकारोक्ति होती थी अन्य आरोपियों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है।
महासमुंद जिले के पिथौरा थाना क्ष्ोत्र के ग्राम किसनपुर उप स्वास्थ्य केन्द्र के सरकारी आवास में रह रही महिला स्वास्थ्य कर्मी योगमाया साहू, उसके पति चेतन साहू, दो मासूम बच्चे तन्मय साहू एवं कुंणाल साहू की निर्मम हत्या कर दी। 31 मई 2018 को सुरेश खुंटे ने पिथौरा पुलिस को स्वास्थ्य केन्द्र में पूरे परिवार की हत्या करने की सूचना दी। पूरे परिवार की हत्या की सूचना को पुलिस ने गंभीरता से लिया मौके में पहुंच कर जांच प्रारंभ की। पुलिस ने मृतका योगमाया के हाथ में मिले बाल को एकत्र कर अन्य साक्ष्य लिया। पुलिस ने गांव में कैंप कर जांच प्रारंभ की। इसमें पुलिस को यह जानकारी मिली कि घटना की रात को गांव के धर्मेंद्र बरिहा को स्वास्थ्य केन्द्र के पास पेड़ के नीचे खड़े हुए देख गया था। पुलिस ने उसे हिरासत में लिया। उसके माथा एवं अन्य जगह चोट के निशान थ्ो। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह चोरी की नियत से घर में घुसा था। मृतका द्बारा विरोध कर झुमा झटकी की। इससे चोट लगने एवं हत्या करने की बात स्वीकार की। पुलिस ने योगमाया के हाथ में मिले बाल को डीएनए टेस्ट कराया। इसमें उक्त बाल धर्मेन्द्र बरिहा का होना पाया गया। उसके पास से चोरी किए गए जेवर, नगद रकम जब्त किया गया। पुलिस ने प्रारंभ में आरोपी के खिलाफ धारा 302 के तहत अपराध पंजीबद्ब कर न्यायालय में चालान पेश किया था। मामले में मृतकों के परिवार वालों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की। जस्टिस गौतम भादुड़ी ने सीबीआई जांच का आदेश दिया। सीबीआई ने मामले में आरोपी धर्मेंद्र बरिहा का नार्को टेस्ट कराया। इसमें आरोपी ने वारदात में सुरेश खुंटे, गौरीशंकर कैवर्त, फुल सिंह यादव, अखंड प्रधान के शामिल होने व सामान आपस में बटवारा करने की जानकारी दी। सीबीआई ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर मृतक के घर से चोरी किए सामान जब्त किया । मामले में महासमुंद जिला एवं सत्र न्यायालय ने आरोपियों को धारा 302 में आजीवन कारावास, 460 में 10 वर्ष, 396 में 10 वर्ष एवं 201 में 5 वर्ष कैद की सजा सुनाई। सजा के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील पेश की थी। आरोपी धर्मेंद्र बरिहा को छोड़कर अन्य आरोपियों की तरफ से तर्क दिया गया कि किसी के मात्र कबूलनामा सबूत नहीं होता है। कोर्ट ने सुनवाई उपरांत अपने आदेश में कहा किसी एक आरोपी का कबूलनामा दूसरे आरोपी के लिए सबूत नहीं होता किन्तु अन्य साक्ष्य मिलने पर इस कबूलनामा को माना जाएगा। इसके साथ कोर्ट ने आरोपियों की अपील खारिज कर जिला न्यायालय के आदेश को यथावत रखा है।
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वारदात में शामिल आरोपी ने ही पुलिस को सूचना दी थी
इस जंघन्य वारदात में शामिल सुरेश खुंटे ने पुलिस को गुमराह करने के लिए दूसरे दिन पिथौरा थाना में उपस्थित होकर हत्या होने की सूचना दी थी। इस कारण से पुलिस को उस पर कोई संदेह नहीं हुआ था। नार्को टेस्ट में उसका नाम आया। इसके बाद सीबीआई ने उसे हिरासत में लेकर अन्य साक्ष्य एकत्र किया और उसे सजा दिलाई व हाईकोर्ट तक ने उसके सजा का यथावत रखा है।

kamlesh Sharma

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