आम कब्रिस्तान में नहीं मिली अंतिम संस्कार करने की अनुमति
0 मृत पिता के संस्कार को लेकर पेश याचिका खारिज
0 हाईकोर्ट ने कहा, पास ही उपलब्ध है मसीही कब्रिस्तान
बिलासपुर। एक ईसाई व्यक्ति की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी , जिसमें उसने गांव के आम कब्रिस्तान में अपने मृत पिता का अंतिम संस्कार करने की अनुमति और पुलिस सुरक्षा मांगी थी। कोर्ट ने गांव में शांति भंग की आशंका पर विचार करते हुए कहा कि, ईसाई समुदाय का कब्रिस्तान पास के क्षेत्र में उपलब्ध है, इसलिए इस रिट याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत देना उचित नहीं होने पर खारिज किया है।
प्रकरण के अनुसार बस्तर के दरभा निवासी याचिकाकर्ता रमेश बघेल के पिता की 7 जनवरी 2025 को वृद्धावस्था में बीमारी से मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद, याचिकाकर्ता और उनके परिवार के सदस्यों का इरादा गांव के आम कब्रिस्तान में ईसाई व्यक्तियों के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र में उनका अंतिम संस्कार करने का था। इस बारे में जानने पर, कुछ ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार पर आक्रामक रूप से आपत्ति जताई और याचिकाकर्ता और उसके परिवार को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। ग्रामीणों ने दावा किया कि, किसी ईसाई व्यक्ति को उनके गांव में दफनाया नहीं जा सकता, चाहे वह गांव का कब्रिस्तान हो या याचिकाकर्ता की अपनी निजी भूमि,जब ग्रामीण हिंसक हो गए, तो याचिकाकर्ता के परिवार ने पुलिस को रिपोर्ट की । आरोप है कि पुलिस ने याचिकाकर्ता के परिवार पर शव को गांव से बाहर ले जाने के लिए दबाव डाला और धमकी दी कि ऐसा न करने पर याचिकाकर्ता और उसके परिवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। याचिकाकर्ता ने छिंदवाड़ा गांव के ईसाई दफन क्षेत्र में अपने पिता की शांतिपूर्ण अंत्येष्टि सुनिश्चित करने के लिए प्रतिवादी अधिकारियों से सुरक्षा और मदद की मांग करते हुए एक आवेदन दिया था। जब याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं मिली, तो उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान उप महाधिवक्ता ने कहा कि ग्राम छिंदवाड़ा में ईसाइयों के लिए कोई अलग कब्रिस्तान नहीं है। हालाँकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि, यदि याचिकाकर्ता अपने मृत पिता का अंतिम संस्कार गाँव छिंदवाड़ा से 20-25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नजदीकी गाँव करकापाल में करता है, जहाँ ईसाईयों का एक अलग कब्रिस्तान है, तो कोई आपत्ति नहीं होगी* न्यायालय ने कहा कि चूंकि ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए 20-25 किलोमीटर की दूरी पर एक अलग कब्रिस्तान उपलब्ध है, इसलिए याचिकाकर्ता अपने मृत पिता का अंतिम संस्कार उसी स्थान पर कर सकता है* इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने याचिका निराकृत कर दी
