एसबीआर कॉलेज की जमीन बेचने के मामले में हाई कोर्ट का अहम निर्णय
00 भूमि शासन के नाम दर्ज करने का आदेश
बिलासपुर। एसबीआर कालेज मैदान मामले में शासन और बजाज बंधुओं की रिट अपील पर अंतिम सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपील मजूर कर इस मैदान की सेल डीड और उसकी बिक्री को अपास्त (निरस्त) कर दिया है । इसके साथ ही शासन को यह जमीन पुनः म्यूटेशन के लिए कानून के अनुरूप शासन के नाम दर्ज करने का निर्देश दिया है ।
इस मामले में एक पक्ष द्वारा इसे बेचने का विरोध कर सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ अतुल बजाज व उनके भाइयों ने हाईकोर्ट में एक रिट अपील पेश की । इसके बाद ही राज्य शासन ने भी अपील प्रस्तुत कर इसे शासन की जमीन बताया । गत दो दिसंबर को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डीबी में अंतिम सुनवाई हुई , जिसमें एडवोकेट जनरल प्रफुल्ल भारत ने बहस करते हुए 1995 -96 का वह राजस्व दस्तावेज पेश किया जिसमें यह जमीन शासन के नाम पर अंकित करने म्यूटेशन का स्पष्ट आदेश था । शासन ने कहा कि, यह सरकारी जमीन है और इसे निजी लोगों को नहीं बेचा जा सकता । हाईकोर्ट ने बहस और सुनवाई के बाद दोनों अपीलें स्वीकार कर आज जारी अपने निर्णय में मैदान की सेल डीड और उसकी बिक्री को निरस्त कर दिया है और म्यूटेशन की कार्रवाई शासन के पक्ष में विधि अनुरूप पूरी करने का निर्देश जारी किया है ।
रजिस्ट्री पर लगी थी रोक
इससे पूर्व एसबीआर कॉलेज मैदान की रजिस्ट्री पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी , चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और नरेश कुमार चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच ने इस मुद्दे पर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद कहा था कि, इसके बाद भी रजिस्ट्री होती है, तो उसे शून्य घोषित किया जाएगा मामले में राज्य सरकार की ओर से भी कहा गया कि, इस रजिस्ट्री पर आपत्ति की जाएगी* इसके लिए हाईकोर्ट ने 2 सप्ताह का समय शासन को दिया था कोर्ट ने नाराजगी भी जताई कि पिछले कई सालों से यह जमीन विवाद चल रहा है और अभी तक शासन की ओर कोई अपील या आपत्ति नहीं की गई*जरहाभाठा स्थित एसबीआर कॉलेज के खेल मैदान के रूप में उपयोग हो रहे 2.38 एकड़ जमीन की बिक्री को लेकर सालों से विवाद चल रहा है । हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने नीलामी के जरिए इस जमीन के बिक्री के आदेश दिए थे* साथ ही कहा गया था की पूरी नीलामी प्रक्रिया कलेक्टर और रजिस्ट्रार की मौजदूगी और जानकारी में होगी* ट्रस्ट के एक पक्ष ने आक्शन नहीं करते हुए टेंडर किया और एक बड़े जमीन दलाल से इसकी बिक्री का सौदा कर लिया गया* साथ ही रजिस्ट्री कराने के लिए कागज पंजीयन आफिस में जमा करा दिया गया था।
सिंगल बेंच में शासन ने नहीं दिया था जवाब
दूसरे पक्ष को इसकी जानकारी मिली तो याचिकाकर्ता अतुल बजाज के माध्यम से उन्होंने रजिस्ट्री आफिस में आपत्ति की, साथ ही हाईकोर्ट की डीबी में अपील की गई* उल्लेखनीय है कि मामला सिंगल बेंच में चल रहा था तो शासन की ओर ना कोई वकील उपस्थित हुए और ना ही किसी अधिकारी ने जवाब दिया था ।
यह रहा पूरा मामला
जरहाभाठा स्थित एसबीआर कॉलेज ट्रस्ट के सामने की जमीन एक ट्रस्ट की है। यह पारिवारिक ट्रस्ट है और इसका गठन 1944 में हुआ था। इस ट्रस्ट ने इलाके में बेहतर उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज खोला था। वित्तीय और पारिवारिक स्थितियों के बीच यह कॉलेज 1975 में सरकार को दे दिया गया* कॉलेज भवन और करीब आठ एकड़ जमीन सरकार को सौंपी गई। ट्रस्ट के स्वामित्व में कॉलेज के सामने मौजूद 2.38 एकड़ जमीन का उपयोग खेल मैदान के रूप में होता था। यह पारिवारिक ट्रस्ट चर्चा और विवादों में तब आया जब मूलत: ट्रस्ट के सात सदस्यों को छोड़कर नए तीन सदस्यों के साथ ट्रस्ट पर स्वत: नियुक्त अध्यक्ष घोषित करते हुए उक्त जमीन का सौदा कर लिया गया एसडीएम कोर्ट ने जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक लगाई ,फिर भी जमीन बेचने की कोशिश की गई*
न्यायपालिका पर विश्वास
इस मामले में अतुल बजाज, सुमित बजाज , अमित बजाज और संतोष बजाज ने डीबी में रिट अपील की थी * अतुल बजाज ने आज शाम हाईकोर्ट का फैसला जारी होने के बाद कहा कि, यह जमीन उनके पूर्वजों ने शासन को दान दी थी* इसके बाद भी कुछ भू माफिया इस पर कब्ज़ा कर व्यायसायिक इस्तेमाल करने की फिराक में थे * फिर भी उन्हें न्यायपालिका पर पूरा विश्वास था और चीफ जस्टिस के फैसले ने साबित कर दिया कि , सच क्या है और झूठ क्या है *
मैदान बचाने जुटा रह छात्र जगत
एसबीआर कालेज जिसे वर्तमान में जे पी वर्मा कॉलेज के नाम से जाना जाता है , यहां विद्यार्थियों के खेल मैदान हेतु दान में दी गई जमीन को कॉलेज ट्रस्ट के एक पक्ष ने शाहर के कुछ भू माफियाओं को बेचने का सौदा कर लिया था, इस बात का शहर में बहुत विरोध हुआ* शासकीय कालेज में प्रारम्भ से खेल मैदान है , इसे बेचने की कोशिश कुछ साल पहले भी की गई थी, मगर छात्र जगत के विरोध के कारण यह मंशा पूरी नहीं हो सकी * इधर तीन- चार वर्षों से एक दूसरा ट्रस्ट बनाकर मैदान को बेचने का प्रयास किया जा रहा है * इसे लेकर कालेज के छात्र नेताओं व पूर्व छात्रों ने जिला प्रशासन से विरोध जताया था * उच्च शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भी दिया था * उच्च शिक्षा मंत्री ने जांच कराने और छात्र हित को ध्यान में रखते हुए मैदान को बिकने नही देने का आश्वासन दिया था * इसी प्रकार कुछ माह पूर्व जिला कलेक्टर को भी लिखित ज्ञापन सोंपा गया था *पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष शैलेंद्र यादव , शरद यादव के नेतृत्व में छात्र नेता विकास यादव , अनिल सूर्या, कमलेश चतुर्वेदी, विक्की सूर्या, संदीप महिलांगे, शुभम खेस ,मनोजीत सूर्यवंशी, लव कुर्रे , अतुल , रितेश आदि सक्रिय रहे ।
