पहली बार जब संबंध बनाया तो पीड़िता की उम्र 12 वर्ष थी अंतिम बार में 16 वर्ष
00 दाखिला खारिज जन्मतिथि के लिए एकमात्र साक्ष्य नहीं
बिलासपुर। हाई कोर्ट ने नाबालिग से कथित रूप से जान से मारने की धमकी देकर दुष्कर्म के मामले में सजा के खिलाफ पेश अपील में पाया कि जब पहली बार संबंध बनाया तो पीड़िता की उम्र 12 वर्ष व अंतिम बार मे 16 वर्ष थी, इस बीच उसने घटना की किसी को जानकारी नहीं दी। इसके अलावा पीड़िता के नाबालिग होने के सम्बंध में पेश दाखिला खारिज रिपोर्ट को प्रमाणित करने को साक्ष्य नहीं पेश किया गया। इस आधार पर हाई कोर्ट ने आरोपी को दोष मुक्त किया ।
बस्तर निवासी दुष्कर्म पीड़िता ने रिपोर्ट लिखाई थी कि उसके पड़ोस में रहने वाले शादी शुदा व्यक्ति ने 2015 में उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया था। उसकव बाद कि बार सम्बन्ध बनाया। जून 2019 में आरोपी ने उसे रात को बगीचा के पीछे बुलाया जब वह गई तो संबंध बनाया। इस घटना की जानकारी उसने परिवार वालो को दी। इसके बाद रिपोर्ट लिखाई गई। पुलिस ने जुर्म दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायालय ने खथित दुष्कर्म के मामले में आरोपी को 20 वर्ष कैद व अर्थदंड की सजा सुनाई। आरोपी ने सजा के खिलाफ अपील पेश की। हाई कोर्ट ने अपील की सुनवाई में पाया कि अभियोजन पक्ष, के अनुसार अभियोक्त्री की जन्मतिथि
29 अगस्त2003. है, अगर उस तारीख पर गौर करें तो जिस तारीख को अभियोक्त्री ने बताया कि, पहला संभोग 06 अक्टूबर .2015 को किया था। दस्तावेज के अनुसार उसकी उम्र लगभग 12 वर्ष 02 माह थी और आखिरी संभोग की तारीख 13/06/2019 को उसकी उम्र लगभग 16 वर्ष थी। इसके बाद से पीड़िता ने घटना के बारे में परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं बताया लंबे समय तक, कथित आखिरी की तारीख पर विचार करते हुए संभोग अर्थात 13 जून 2019, वह प्रतीत होती है घटना के समय लगभग 16 वर्ष की थी।. दाखिल खारिज रजिस्टर में दर्ज जन्मतिथि अभियोजन पक्ष की ओर से इसे चुनौती दी गयी है तर्क दिया गया है कि कोई विश्वसनीय दस्तावेज नहीं है। गांव के कोटवारी दस्तावेज में जन्म तिथि दर्ज नहीं है। अभियोजन पक्ष से पीड़िता का पिता जन्म तिथि बताने में असमर्थ है । जन्मतिथि पर दखिल ख़ारिज रजिस्टर,के अलावा कोई अन्य दस्तावेजी साक्ष्य नहीं है । मेडिकल जांच में यह पाया गया कि पीड़िता संबधं बनाने अभ्यस्त थी। कोर्ट ने पीड़िता के सहमति देने वाली पार्टी होने के आधार पर अपील स्वीकार कर आरोपी को दोष मुक्त किया है। कोर्ट ने आरोपी की किसी अन्य मामले में आवश्यकता नहीं होने पर रिहा करने का आदेश दिया है।
