बिलासपुर । न्यायधानी के जिला अस्पताल और राजधानी के आंबेडकर अस्पताल में मरीजों के इलाज में हो रही घोर लापरवाही के समाचारों को संज्ञान में लेते हुए सोमवार को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई की । अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण से शपथपत्र पर जवाब माँगा गया है । अगली सुनवाई 30 सितंबर को ही निर्धारित की गई है ।
समाचार माध्यमों में “जिला अस्पताल आक्सीजन प्लांट पर करोड़ों खर्च, तीन में से दो बंद हेल्थ सेंटरों के डॉक्टर करते हैं ऑन कॉल ड्यूटी, इस आशय का समाचार जिला अस्पताल बिलासपुर को लेकर प्रकाशित हुआ था। इसे संज्ञान में लेकर चीफ जस्टिस की डीबी ने हाईकोर्ट में सुनवाई की । याचिका में यह बात सामने आई कि, कोविड महामारी काल में जिला अस्पताल में तीन ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए थे, लेकिन इनके रख-रखाव के लिए कोई कर्मचारी तैनात नहीं हुआ और इनका संचालन अप्रशिक्षित कर्मचारियों व कंप्यूटर ऑपरेटरों से कराया जा रहा है, जिससे दो ऑक्सीजन प्लांट बंद पड़े हैं। वर्तमान में बाहर से लाए गए ऑक्सीजन सिलेंडरों से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। विभिन्न अधिकारियों द्वारा अस्पताल का निरीक्षण किए जाने के बावजूद बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांटों को चालू करने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसी प्रकार दूसरी रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति अस्पताल कि खबर में बताया गया कि रविवार को ओपीडी बंद रहती है और आपातकालीन स्थिति में डॉक्टर सिर्फ कॉल पर ही ड्यूटी करते हैं। अस्पताल को सिर्फ मेडिकल स्टाफ के सहारे चलाया जा रहा है। जब भी छुट्टी होती है तो स्वास्थ्य केंद्र को इमरजेंसी मोड पर छोड़ दिया जाता है और मरीजों को छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी दवा नहीं मिलती। जिला अस्पताल में ओपीडी कक्षों में ताले लगे रहते हैं। इस तरह की व्यवस्था के कारण मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है। सुनवाई में आज महाधिवक्ता ने आवश्यक निर्देश लेने के लिए समय मांगा । हाईकोर्ट ने तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को इस संबंध में अपना व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करने का निर्देश देकर 30 सितंबर को फिर सुनवाई रखी है ।
