नाबालिग से रेप , एफआईआर दर्ज कराने में विलंब को घातक नहीं माना जा सकता-हाई कोर्ट
बिलासपुर। एक महिला से हुए रेप के मामले में बहुत सोच विचार कर रिपोर्ट लिखाने निर्णय लिया जाता है। ऐसे में विलंब के आधार पर आरोपी को सजा में कोई छूट नहीं दी जा सकती है।
जशपुर जिला निवासी 14 वर्षीय पीड़िता 24 दिसम्बर 2018 की रात घर में अकेले थी माता पिता चर्च गए थे, रात में गांव में रहने वाला 40 वर्षीय आरोपी आया व उसे बलपूर्वक पैरावट में ले जाकर दुष्कर्म किया। आरोपी किसी को बताने पर जहर देकर जान से मारने की धमकी दी थी। इसके बाद आरोपी बारबार उसके साथ संबंध बनाता रहा। अप्रैल 2019 को पीड़िता का चेहरा पीला दिखने व मुरझाई हुए रहने पर माँ ने पूछताछ की। इस पर पीड़िता ने मा को वारदात की जनकारी दी एवं माहवारी रुकने पर आरोपी द्वारा गर्भसमाप्त करने गोली देने की बात की। माँ को जनकारी होने पर उसने 28 अप्रैल 2019 को रिपोर्ट लिखाई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया। पीड़िता के नाबालिग होने पर न्यायालय ने आरोपी को पाक्सो एक्ट में 20 वर्ष कैद की सजा सुनाई है। सजा के खिलाफ उसने हाई कोर्ट में अपील पेश की थी। अपील में एफआईआर विलंब से होने को मुख्य आधार बनाया गया व सजा को रद्द करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने सुनवाई उपरांत अपने आदेश में कहा बिलकुल यही प्रतीत होता है एफआईआर में थोड़ी देरी हुई है। प्रकरण में साक्ष्यों से यह स्पष्ट है अपीलकर्ता नाबालिग पर बार-बार यौन हमला किया । जिसकी उम्र 14 वर्ष से कम थी और वह भी इसलिए पीड़िता को जान से मारने की धमकी दी गई थी । घटना के बारे में अपने माता-पिता को नहीं बताया और जब अपीलकर्ता ने लगातार परेशान किया फिर पीड़िता ने उसे पूरी घटना माँ को बताई और उसके बाद 28.04.2019 को एफआईआर दर्ज की गई थी। जैसे, कारण रिपोर्ट दर्ज कराने में देरी हुई। इस तरह, ऐसी देरी को घातक नहीं माना जा सकता । कोर्ट ने आगे कहा कि जब किसी महिला से रेप होता है तो इसकी रिपोर्ट लिखाने बहुत से पहलुओं पर चर्चा व विचार का निर्णय लिया जाता है। कोर्ट ने पीड़िता के बयान पर्याप्त मानते हुए आरोपी की अपील को खारिज कर निचली अदालत के आदेश को यथावत रखते हुए अपील को खारिज किया है।
नाबालिग से रेप, एफआईआर कराने में विलंब को घातक नहीं माना जासकता, हाई कोर्ट ने आरोपी की अपील खारिज की
