भू अर्जन प्राधिकरण में पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी किया
बिलासपुर। नए भूमि अर्जन अधिनियम २०१३ के अंतरगत छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय मैं निरस्त की गई जनहित याचिका के विरुद्ध दायर की गई याचिका मैं सर्वोच्च न्यायलय ने राज्य शासन को जवाब तलब कर पूछा है की भूमि अर्जन धारकों को अतिरिकत मुआवजा क्यों न दिया जाय, जबकि इसके विलम्ब का कारण प्राधिकरण अवं पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति ना होना है। जून माह की २१ तारीख को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय को याचिकाकर्ता बाबूलाल की जनहित याचिका इस आधार पर ख़ारिज कर दी थी की यह याचिका निजी हित से ग्रसित है। इसके विरुद्ध याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव के माध्यम से एसएलपी दायर की और गुहार लगाई की लगातार विभिन्न याचिकाओं मैं प्राधिकरण मैं पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के निर्देश दिए गए पर राज्य शासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, जिससे लगभग हज़ारों भू अर्जन आवेदकों के मुवावजा राशि लंबित है। मामले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पाया की नए कानून के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य में भू अर्जन प्राधिकरण में पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति पिछले १० माह से नै हुई है। मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी।
