बिलासपुर । चोट की प्रकृति भारतीय दंड संहिता के धारा 307 के तहत दोषसिद्धि निर्धारित करने का कारक नही है, चोट के साथ अभियुक्त के आशय को भी देखा जाना चाहिये। यह आदेश रेखांकित करते हुए हाईकोर्ट ने हत्या और हत्या के प्रयास के मामले में पेश दोनों क्रिमिनल अपीलें खारिज कर दी । जिला कोर्ट रायपुर का निर्णय बरकरार रहा ।न्यायिक जानकारी के अनुसार रायपुर जिले के आरंग में 5 अप्रैल 2019 को शाम 05:30 बजे फरियादी बिसाहू राम चन्द्राकर ने रिपोर्ट लिखाई कि वह अपने खेत से वापस आ रहा था, वह अपने गांव के परसाही तालाब के पास पहुंचा तो उसने देखा कि भाई चिंतामणि चंद्राकर (मृतक), भतीजा मनीष कुमार चंद्राकर (घायल) और नरेश चंद्राकर पर हमला किया जा रहा था । सेवाराम जांगड़े , कमलेश जांगड़े , धरमदास उर्फ मोटू जांगड़े, परमानंद उर्फ पप्पू बंजारे, नारद जांगड़े रामानंद जांगड़े और मुकेश कुमार बंजारे उर्फ मुसवा (एउसके भाई और भतीजों के साथ मारपीट कर रहे थे। बुरी तरह घायल भाई को अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई । इसी प्रकार भतीजा मनीष भी घायल हुआ था । इस मामले में अपराध दर्ज होने के बाद मुकदमा चलने पर अतिरिक्त सत्र न्यायालय जिला रायपुर द्वारा 30. सितंबर .2021 को अपीलकर्ताओं को धारा 302 के तहत दोषी ठहराया गया है। 149, 307/149, 341 और 148 भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की और उन्हें क्रमशः आजीवन कारावास,, 5 साल के लिए आर.आई., 01 महीने और 1 वर्ष के भुगतने और जुर्माना राशि का भुगतान करने की सजा सुनाई। इसे लेकर हाईकोर्ट में आरोपियों ने क्रिमिनल अपील पेश की । सुनवाई के बाद जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस रजनी दुबे की डीबी ने सभी गवाहों के बयान और प्रत्यक्षदर्शी के कथन के आधार पर सत्र न्यायालय का निर्णय न्यायोचित पाया । इसके साथ ही पेश की गई दोनों क्रिमिनल अपील खारिज कर दी ।
