बिलासपुर। भारी मात्रा में गांजा तस्करी करने के आरोपी द्वारा सजा के खिलाफ पेश अपील को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस महासमुंद के आदेश को यथावत रखा है। निचली अदालत से आरोपी को 15 वर्ष का कठोर कारावास व एक लाख रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई गई है।
महासमुंद में पदस्थ एस आई नागेंद्र दुबे को 15 जुलाई 2017 को मुखबीर से कार क्रमांक एम एच 43 आर 9368 से गांजा तस्करी किये जाने की सूचना मिली। इस पर टीम गठित कर बागबहार की ओर से रहे उक्त कार को रोक कर जांच की गई। कार में तीन लोग सवार थे। पूछताछ में अपीलकर्ता ने अपना नाम भरत अम्बले व निवासी पुणे महाराष्ट्र बताया व इसके साथ सूरज व एक किशोर बैठा था। मौके पर ही विधि-विधान से जांच की गई तो वह एक क्विंटल 50 किलोग्राम गांजा पाया गया। जिसे जब्त कर 100-100 ग्राम के दो नमूने लिए गए
दो मोबाइल फोन, एक पहचान पत्र, एक घड़ी और नकद रुपये।
इनके संयुक्त कब्जे से 2500 रूपये जप्त किया गया तथा जप्ती मेमो तैयार किया गया। आरोपी और किशोर के खिलाफ अपराध के सबूत मिले, उन्हें गवाहों की उपस्थिति में गिरफ्तार किया गया। एनडीपीएस अधिनियम की धारा 20 (बी) के तहत दंडनीय अपराध दर्ज किया गया। जब्त गांजा का सैंपल एफएसएल रायपुर भेजा गया । कार्यवाही का पचनामा एवं सूची कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के माध्यम से तैयार किये गये। विचारण न्यायालय ने दोष सिद्ध पाया गया। न्यायालय ने आरोपी को 15 वर्ष कठोर कारावास एवं एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। सजा के खिलाफ आरोपी ने हाई कोर्ट में अपील पेश की। अपील में कहा गया कि वह निर्दोष है उसे गलत फसाया गया। इसके अलावा विधिवत कार्रवाई नहीं की गई। अपील पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डीबी में सुनवाई हुई। कोर्ट ने सुनवाई में पाया कि पूरी कार्रवाई कार्यपालक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में की गई। उनका हस्ताक्षर है। जब्त गांजा एक क्विंटल 50 किलो ग्राम है। विचारण न्यायालय ने कोई गलती नहीं की है। डीबी ने आरोपी की अपील खारिज किया है।
