बिलासपुर। 22 साल पूर्व नियुक्त शिक्षाकर्मियों के संविलियन होने के बाद अब उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है। इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने वित्त सचिव को व्यक्तिगत तौर पर शपथ पत्र देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि शिक्षाकर्मियों को आखिर कौन से पेंशन स्कीम का लाभ दिया जाएगा। यदि ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ दिया जाएगा तो उसके लिए राशि की व्यवस्था कैसे और कहां से होगी। मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी। करण सिंह बघेल और 39 अन्य ने एडवोकेट प्रतीक शर्मा के माध्यम से इस मामले में याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के कोर्ट में चल रही है। याचिका में कहा गया है कि उनकी नियुक्ति वर्ष 1998 से शिक्षाकर्मी के पद पर हुई थी। तब से याचिकाकर्ता लगातार सेवाएं दे रहे हैं। 2018 में राज्य शासन ने इनका संविलियन शिक्षा विभाग में कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं को इसी साल से पेंशन योजना का लाभ दिया गया। विभाग ने याचिकाकर्ताओं की सहमति के बिना ही नई पेंशन स्कीम के तहत उनके वेतन में से कटौती शुरू कर दी। साथ ही उनकी सेवा की गणना भी वर्ष 2018 से की गई है।
याचिका में कहा गया कि नई पेंशन योजना एक अप्रैल 2004 से लागू है जबकि याचिकाकर्ता वर्ष 1998 से कार्यरत हैं। इस तरह किसी भी नियुक्ति में सेवा अवधि की गणना प्रथम नियुक्ति से की जाती है। लेकिन याचिकाकर्ताओं के लिए इस नियम को भी दरकिनार कर दिया गया है। प्रावधान के अनुसार याचिकाकर्ताओं को नई पेंशन योजना का लाभ दिया जाना गलत है। याचिका में 1976 की पुरानी पेंशन स्कीम ही लागू कराने की मांग की गई है। इस पर सरकारी वकील की ओर से कहा गया कि 11 मई 2022 को राजपत्र में इस आशय का प्रकाशन कर दिया गया है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने वित्त सचिव को व्यक्तिगत तौर पर शपथ पत्र देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि शिक्षाकर्मियों को आखिर कौन से पेंशन स्कीम का लाभ दिया जाएगा। यदि ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ दिया जाएगा तो उसके लिए राशि की व्यवस्था कैसे और कहां से होगी। मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।
