डीजीपी को विवेचना में प्रावधान का पालन करने का निर्देश
00 गांजा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई में लापरवाही कोर्ट ने गभीर टिप्पणी की
बिलासपुर । गांजा तस्करी के आरोपियों से मादक पदार्थ बरामद होने के बाद भी अभियोजन की कमजोर प्रस्तुती के कारण समाज की संरचना को कमजोर करने वाले अपराधियो को भारी मन से बरी कर दिया गया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रजनी दुबे की डीबी ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए डीजीपी को आदेश की प्रति भेजकर प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने कहा भविष्य में अभियोजन इस बात का ख्याल रखे कि, उनकी किसी चूक से दोषी न छूट जायें ।
25.जुलाई 2020 को थाना कोमाखान के सहायक उप निरीक्षक सुशील शर्मा को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि एक सफेद रंग की पिकअप में 2 व्यक्ति उड़ीसा से छत्तीसगढ़ की ओर जा रहे हैं। वह कर्मचारियों और गवाहों के साथ मौके पर पहुंचे और नाकाबंदी कर दी। नाकाबंदी के दौरान एक सफेद रंग की पिकअप गाड़ी बोलेरो मैक्सी ट्रक प्लस नम्बर यू.पी. 81 बीटी 071 को रोका गया जो उड़ीसा की ओर से आ रही थी । पूछताछ करने पर ड्राइवर ने अपना नाम राजकुमार शर्मा और बगल में बैठे व्यक्ति ने अपना नाम मदन मोहन शर्मा बताया। पूछताछ में उन्होंने बताया वे मुनिगुड़ा (उड़ीसा) से गांजा लेकर अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) जा रहे थे। आरोपियों को एनडीपीएस अधिनियम की धारा 50 के तहत तलाशी ली गई । तलाशी में 3 बोरियों में भूरे रंग के पॉलिथीन में लिपटे 34 पैकेट मिले जिसमें कुल 100 किलोग्राम गांजा था। आवश्यक कार्रवाई के बाद न्यायालय में चालान पेश किया गया। विशेष न्यायाधीश (एनडीपीएस एक्ट) महासमुंद ने आरोपियों को 15 वर्ष कैद व 1-1 लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई।न दोनों ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में क्रिमिनल अपील की । चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रजनी दुबे की डीबी में सुनवाई हुई।
क्या तर्क पेश किया गया जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया
अपीलार्थियों के वकील ने तर्क पेश कर कहा कि दोनों को झूठे मामले में फसाया गया है। दोनों जब्ती गवाह व तोलबाज ने पुलिस की कार्रवाई का समर्थन नहीं किया है। इसी प्रकार पुलिस ने 100 किलो ग्राम गाजा जब्त करना बताया किन्तु दंडाधिकारी ने 95 किलो ग्राम बताया है। स्वतंत्र गवाह के समर्थन नहीं करने पर पुलिस अधिकारी की गवाही को सजा के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इसी प्रकार 34 पैकेट जब्त करना बताया गया किन्तु दो पैकेट से नमूना लेकर जांच के लिए एक माह विलंब से रायपुर भेजा गया। इस विलंब का कारण भी नहीं बताया गया।
तर्क को सुनने के बाद कोर्ट ने प्रावधानों का पालन नहीं करने व विभिन्न अपेक्स कोर्ट के आदेश को देखते हुए भारी मन से आरोपियों की अपील स्वीकार कर विशेष न्यायालय के आदेश को रद्द किया है।
डीजीपी को भविष्य में प्रावधान का पालन करने का निर्देश
कोर्ट ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा भारी मन से अपीलें स्वीकार करना पड़ा
कोर्ट ने कहा कि, वर्तमान मामले में भारी मात्रा में प्रतिबंधित सामग्री जब्त की गई थी और जांच एजेंसी की ओर से ढिलाई के कारण एनडीपीएस अधिनियम के तहत अनिवार्य प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है।भारी मन से हमें इन अपीलों को स्वीकार करना होगा। उपरोक्त तथ्य को ध्यान में रखते हुए, हम पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़ और अन्य जांच एजेंसियों को निर्देश देते हैं कि ऐसे किसी भी मामले में, यदि अभियोजन शुरू किया गया है, तो जांच एजेंसी को संबंधित अधिनियम के तहत अनिवार्य प्रावधानों का सख्ती से पालन करना चाहि, ताकि आरोपी इस तरह की खामियों का फायदा न उठा सके। क्योंकि यह अपराध , जो समाज की बुनियादी संरचना को कमजोर करता है। निर्णय की एक प्रति आवश्यक जानकारी और अनुपालन के लिए पुलिस महानिदेशक, रायपुर को तुरंत भेजने का आदेश दिया गया है।