नियम विरूद्ब ग्रामीण को जेल दाखिल किया, हाईकोर्ट ने क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया
०० तहसीलदार स्वयं शिकायतकर्ता व मजिस्ट्रेट बनकर ग्रामीण को जेल भेज दिया
बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस रजनी दुबे की युगलपीठ ने तहसीलदार स्वयं शिकायतकर्ता व मजिस्ट्रेट बनकर ग्रामीण को जेल दाखिल करने के मामले में पीड़ित को क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश दिया है।
रायपुर जिला के आरंग क्ष्त्र के ग्राम बेहर में पेड़ों की कटाई किए जाने की कलेक्टर रायपुर से शिकायत की गई थी। कलेक्टर के निर्देश पर 28 जून 2021 को आरंग तहसीलदार नरेन्द्र बंजारा जांच करने गए। मौके में याचिकाकर्ता शबदशरन साहू से विवाद हो गया। इस पर उन्होंने ग्रामीण द्बारा विवाद करने एवं शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने की पुलिस में शिकायत की। शिकायत पर आरंग पुलिस याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर थाना गई एवं इस्तगासा तैयार कर 107, 116, 151 के तहत मुकदमा दर्ज कर शिकायतकर्ता तहसीलदार के समक्ष ग्रामीण को पेश किया गया। तहसीलदार ने नियम को दरकिनार कर रात में ही वारंट जारी कर जेल दाखिल का आदेश दिया। चार्जशीट में लिख दिया गया कि ग्रामीण ने हस्ताक्षर करने से इंनकार कर दिया है। इसके बाद रात 1० बजे उसे रायपुर जेल भेज दिया गया। याचिकाकर्ता के पिता प्रेम साहू ने मामले की रायपुर कलेक्टर से शिकायत की। इस पर याचिकाकर्ता को एक सप्ताह बाद जेल से छोड़ा गया। इस कार्रवाई के खिलाफ ग्रामीण ने अधिवक्ता तारेन्द्र कुमार झा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मुआवजा दिलाने की मांग की। कोर्ट में बताया गया कि पूरी कार्रवाई गलत है। शिकायतकर्ता ही मजिस्ट्रेट बनकर जेल वारंट जारी किया। इसके अलावा रात 1० बजे जेल खोलवा कर उसे अंदर किया गया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस रजनी दुबे की डीबी ने गलत कार्रवाई करने पर याचिकाकर्ता को क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का हकदार मानते हुए 25 हजार रूपये मुआवजा देने का आदेश दिया है।