बालात्कार के मामले में पीड़िता का बयान ही पर्याप्त साक्ष्य-हाईकोर्ट
०० आरोपी बंधक बना कर बालात्कार किया था
बिलासपुर। युवती का अपहरण कर गुडगांव ले जाकर कमरे में बंद कर स्वयं व उसके साथी द्बारा दुष्कर्म करने के मामले में सत्र न्यायालय से सुनाई गई सजा के खिलाफ पेश अपील के मामले में पीड़िता के बयान को एकमात्र विश्वसनीय साक्ष्य मानते हुए अपील को खारिज किया है।
कोरबा जिला निवासी पीड़िता 13 जनवरी 2014 की शाम 4.30 बजे कटघोरा बस स्टैंड आई थी। यहा छोटूल उर्फ लाला चौटाला नाम के व्यक्ति ने उसे जबरन बस में बैठाकर बिलासपुर लाया। यहां मंदिर चौक में अपने एक परिचित व्यक्ति को बुलाया एवं उसे अपना जीजा बनाया। युवती को मंदिर चौक से रेलवे स्टेशन ले गए। इसके बाद ट्रेन से इलाहाबाद, कानपुर, दिव्यपुर, दिल्ली होते हुए गुड़गांव हरियाण लेकर गए व एक कमरे में बंद कर दिया गया। गुड़गांव में आरोपी संजय राजपूत ने उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद अपने एक मित्र को बुलाया। उसके मित्र ने भी उसके साथ जबरस्ती की। विरोध करने पर उसने सिगरेट से उसके हाथ को जला दिया। तीन दिन उसे कमरा में बंद रखा गया। इसके बाद आरोपी की भाभी आई और से उससे पूछताछ की। एक दिन सभी लोग बाहर गए तो पीड़िता ने मकान मालिक से फोन लेकर अपनी मां को अपहरण करने व बंधक बनाए जाने की जानकारी दी। आरोपी की भाभी को इसकी जानकारी होने पर उसने भी पीड़िता की मां से फोन पर बात की एवं उसके सुरक्षित होने की जानकारी दी। इसके बाद पीड़िता की मां एवं अन्य रिश्तेदार पुलिस के साथ गुड़गांव गए एवं पीड़िता को आरोपी संजय राजपूत से मुक्त कराया। कटघोरा पुलिस ने अन्य आरोपियों के फरार होने पर आरोपी संजय राजपूत के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया। 2 जून 2017 को विश्ोष कोर्ट (एट्रोसिटी) ने आरोपी को धारा 365 में पांच वर्ष 1००० रूपये, 366 सात वर्ष 2०००, 342 में छ माह 5००, 376 (2) दस वर्ष 3००० रूपये, 12० बी में दस वर्ष 3००० रूपश्े अर्थदंड की सजा सुनाई है। इसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील पेश की थी। अपील में यह आधार लिया गया कि पीड़िता को बस, ट्रेन से ले जाया गया जहां बहुत सारे लोग रहते हैं, उसने किसी को अपहरण कर ले जाने की बात नहीं कही है। वह स्वंय साथ गई थी। मामले में कोई गवाह नहीं है। अपील पर जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की कोर्ट में सुनवाई हुई। शासन एवं अपीलकर्ता के अधिवक्ता के पक्ष को सुनने के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा आरोपी के विरुद्ध आरोप स्थापित करने के लिए अभियोजन पक्ष ने 12 गवाहों से पूछताछ की। बालात्कार के मामले पीड़िता के साक्ष्य ही दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त हैं। बलात्कार के अपराध में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। अपीलकर्ता और अन्य सह-अभियुक्त, हालांकि वे फरार हैं उन्होंने अभियोक्ता का अपहरण कर लिया, उसे गुड़गाँव ले गया एक कमरे में बंद कर उसके साथ बलात्कार किया, और इसलिए, दोषसिद्धि और सजा का आक्षेपित निर्णय है उचित है। इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
आरोपी व उसकी भाभी ने किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी थी
मामले में जब पीड़िता ने मकान मालिक के फोन से अपनी मां को अपहरण कर बंधक बनाने की जानकारी दी, तब आरोपी एवं उसकी भाभी ने किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी थी। इसके अलावा उसकी भाभी ने किसी समीर नाम के व्यक्ति के लिए पत्र लिखने दबाव बनाया एवं कहा कि वह समीर से प्रेम करती है अपनी मर्जी से आई है। इसके साथ उसकी भाभी ने उस पत्र को अपने पास रख ली थी। पीड़िता ने विरोध करने पर सिगरेट से जलाने की बात कही थी। मेडिकल जांच में भी उसके हाथ में सिगरेट से जलाने का पुराना घाव होने की पुष्टि की गई है।
