सड़क दुर्घटना में घायल हुए दंपति को 30 वर्ष बाद हाईकोर्ट से न्याय मिला
०० हाईकोर्ट ने प्रत्येक घायल को डेढ़-डेढ़ लाख रूपये क्षतिपूर्ति 6 प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दिया
बिलासपुर। हाईकोर्ट ने 30 वर्ष पूर्व मिनी बस से यात्रा के दौरान घायल हुए दंपति के मेडिकल रिपोर्ट एवं डिस्चार्ज टिकट को देखते हुए उन्हें हुए जो पीड़ा सह करना पड़ा उसके लिए दोषी वाहन चालक व बीमा कंपनी को प्रत्येक घायल को तीन माह के अंदर 6 प्रतिशत ब्याज सहित डेढ़-डेढ़ लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि देने का निर्देश दिया है।
रायपुर निवासी शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के भौतिक विभाग के प्रमुख डा. विठ्ठल कुमार अग्रवाल अपनी पत्नी श्रीमती सरला अग्रवाल के साथ 16 अगस्त 1994 को मिनी बस क्रमांक एमकेएल 5064 से कोरबा से चांपा जा रहे थे। रास्ते में ट्रक क्रमांक एमपी 26-ए 5955 का चालक लापरवाहीपूर्वक चलाते हुए मिनी बस को ठोकर मार दिया। दुर्घटना में डा. अग्रवाल एवं उनकी पत्नी को गंभीर चोट आई। चांपा के अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोनों को गंभीर चोट आने पर चांपा के अस्पताल में प्रारंभिक उपचार के बाद बेहतर उपचार के लिए अन्य अस्पताल भ्ोजा गया। उन्हें उपचार के लिए नागपुर ले जाया गया। दंपति ने उपचार में आए खर्च व क्षतिपूर्ति के लिए मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में वाद पेश किया। अधिकरण से वाद खारिज होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में अपील पेश की। याचिका में जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की कोर्ट में सुनवाई हुई। ट्रक चालक ने मिनी बस को सामने से टक्कर मार दी बस क्षतिग्रस्त हो गई और मिनी बस में सवार लोग भी क्षतिग्रस्त हो गए दावेदारों को गंभीर चोटें आईं।  इसके बाद रिपोर्ट बनाई गई दिनांक 16/08/1994 को ही थाना चांपा के समक्ष अपराध दर्ज किया गया था दर्ज कराई।  दावेदार डॉ. विठ्ठल कुमार अग्रवाल ने प्राप्त किया गंभीर चोटें आईं और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। दर्द और पीड़ा, चिकित्सा व्यय, स्थायी विकलांगता के लिए, परिचारक आदि  ब्याज सहित. दावेदारों द्बारा धारा 166 के तहत दावा दायर कर मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजे की मांग की। ट्रिब्यूनल ने दोनों पक्षों के नेतृत्व में साक्ष्यों के आधार पर दावा याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने सुनवाई पर पाया कि दोनों पक्षों के लिखित बयान में कहा गया कि दुर्घटना की तारीख पर ट्रक क्रमांक एमपी 26 ए 5955 ने मिनी बस क्रमांक एमकेएल 5064 को सामने से ठोकर मार दिया जिससे अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ। मामले में डिस्चार्ज सर्टिफिकेट, टिकट, पैथोलॉजिकल रिपोर्ट और एक्स-रे दिखा रहे हैं नैदानिक रिपोर्ट, हालांकि दावेदारों ने उचित दस्तावेज दाखिल नहीं किये हैं उनके द्बारा इलाज के दौरान किए गए खर्च को दर्शाया जा रहा है लेकिन यह स्पष्ट है अन्य चिकित्सा दस्तावेजों से पता चलता है कि उन्हें गंभीर चोटें आईं और विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया। उनकी बेहतर रिकवरी के लिए भारी भरकम खर्च करना पड़ा होगा। इस प्रकार, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए, प्रकृति और दावेदारों/घायलों को लगी चोट की सीमा, अवधि उनका अस्पताल में भर्ती होना, आगे इस तथ्य पर विचार करना कि उपचार के दौरान दावेदारों के साथ अन्य लोगों को भी गंभीर मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा। दावेदार एकमुश्त राशि प्राप्त करने के हकदार हैं उक्त घटना में प्रत्येक को लगी चोटों के लिए 1,50000/- रु दुर्घटना, जो न्याय के लक्ष्य को पूरा करेगी… मुआवजे की उक्त राशि पर 6% की दर से ब्याज लगेगा। दावा याचिका दायर करने की तारीख अर्थात  03/12/1996 से 01/10/2001 तक और 27/ 04/2011 से इसके साकार होने तक।   उत्तरदाता उल्लंघनकर्ता वाहन, बीमाकर्ता मुआवजे की क्षतिपूर्ति करेगा दावेदारों को आदेश की प्रति प्रा’ करने की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर भुगतान करना होगा।

kamlesh Sharma

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