बर्खास्त शिक्षक को सेवानिवृत्त आयु निकलने के बाद हाईकोर्ट से न्याय मिला
०० बर्खास्तगी आदेश निरस्त पिछला सभी परिणामी लाभ देने का निर्देश
बिलासपुर। हाईकोर्ट ने अनाधिकृत अनुपस्थिति के आरोप में बर्खास्त किए गए सहायक शिक्षक के बर्खास्तगी आदेश को निरस्त करते हुए सेवानिवृत्त आयु पार करने के कारण उसे बहाल करने का आदेश नहीं देते हुए सेवानिवृत्त आयु दिनांक से पिछला सभी परिणामी लाभ देने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता को वर्ष 2008 में जिला शिक्षा अधिकारी सरगुजा ने बर्खास्त किया था। बर्खास्त शिक्षक तब से हक की लड़ाई जारी रखा था। 16 वर्ष की कानूनी लड़ाई के बाद उसे हाईकोर्ट से न्याय मिला है।
याचिकाकर्ता नोहर साय कुजूर की शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक के पद में नियुक्ति हुई थी। वे शासकीय स्कूल सुमैरपुर में पदस्थ थे। सितंबर 2007 से अप्रैल 2008 तक स्वास्थ्यगत कारण से स्कूल में उपस्थित नहीं हो सके। इस पर जिला शिक्षा अधिकारी सरगुजा ने 2008 में अनाधिकृत अनुपस्थिति होने के आधार पर सेवा से बर्खास्त कर दिया। इसके खिलाफ उन्होंने डीपीआई के समक्ष अपील पेश की। अपील डीपीआई में फेल होने पर उन्होंने राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग को आवेदन दिया। आयोग ने अक्टूबर 2013 को डीपीआई को बहाल करने की अनुशंसा की। इसके बाद भी बहाल नहीं किए जाने पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में सेवा याचिका पेश की। हाईकोर्ट ने डीपीआई को आयोग के अनुशंसा पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इसके बावजूद उन्हें बहाल नहीं किया गया। इस पर उन्होंने 2015 में अधिवक्ता सोमकांत वर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में अपील पेश किया। अपील में जस्टिस रजनी दुबे की कोर्ट में सुनवाई हुई। 9 साल बाद याचिका में अंतिम सुनवाई उपरांत कोर्ट ने प्रकरण को अगस्त में निर्णय के लिए सुरक्षित किया था। 3 अक्टूबर 2024 को कोर्ट ने निर्णय पारित करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता स्वास्थ्यगत कारण से कार्य में उपस्थित नहीं होने जवाब पेश किया। इसके पक्ष को सुना नहीं गया है। आयोग ने याचिकाकर्ता को बहाल करने की अनुशंसा की थी इस पर भी कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा उसके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन कर सीसीए रूल्स का पालन नहीं किया गया। याचिकाकर्ता शासकीय सेवा में नियमित कर्मचारी रहा। उसकी सेवा ऐसे समाप्त नही किया जा सकता।सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत का अवलोकन किया गया। इस कारण विवादित बर्खास्तगी आदेश को निरस्त किए जाने योग्य है। याचिकाकर्ता पहले ही सेवानिवृत्त आयु प्रा’ कर चुका है। इस लिए वह बहाली का हकदार नहीं होगा, लेकिन वह परिणामी लाभ का हकदार है। कोर्ट ने पिछला बकाया वेतन मामले को छोड़ देन को अनुचित ठहराया है। याचिका दाखिल करने के समय याचिकाकर्ता की उम्र लगभग 54 वर्ष थी और अब तक वह वृद्ध हो चुके हैं करीब 63 साल.  यदि अपीलकर्ता की आयु प्राप्त हो गई है सेवानिवृत्ति के बाद वह बहाली का हकदार नहीं होगा लेकिन वह इसके अलावा परिणामी लाभों का हकदार होगा बकाया वेतन, और यदि याचिकाकर्ता ने आयु प्राप्त नहीं की है सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें सभी के साथ सेवा में पुन: बहाल किया जाए परिणामी लाभ देने का निर्देश दिया है।बर्खास्त शिक्षक को सेवानिवृत्त आयु पर

kamlesh Sharma

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