2161 करोड़ का घोटाला, तथ्यों की जांच जरूरी, हाई कोर्ट ने अनील टूटेजा सहित अन्य की याचिका खारिज की
बिलासपुर। शराब घोटाला मामले में एसीबी व ईडी द्वारा अलग अलग प्रकरण दर्ज किए जाने के विरुद्ध पूर्व आईएएस अनील टूटेजा, अनवर ढेबर सहित अन्य की याचिका को खारिज किया है।
कोर्ट ने आदेश में कहा तथ्यों की जांच करनी होगी और परिस्थितियाँ एफआईआर और परीक्षण दोनों को जन्म दे रही हैं। क्या दोनों में समानता लागू होगा। एफआईआर एक ही घटना से संबंधित हैं। घटना एक ही लेन-देन के अधिक भाग हैं। हालाँकि, यदि विपरीत सिद्ध हो, तो
दूसरी एफआईआर में संस्करण अलग है। दूसरे एफआईआर की अनुमति है। पहली एफआईआर का आरोपी कुछ और ही लेकर सामने आता है। इस कारण से दोनों एफआईआर पर जांच आयोजित करना होगा। ईडी के वकील ने तर्क में बताया कि अनिल टुटेजा को
4अप्रैल 2024 को गिरफ्तार किया गया था और अभियोजन शिकायत19 जून 2024 को पीएमएलए न्यायालय, रायपुर के समक्ष दायर किया गया। अरविद सिह को 7 जनवरी 2024 को गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में मामला अदालत में लंबित है। अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी, निरंजन दास, यश पुरोहित और नितेश पुरोहित हैं। विवेक शर्मा अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा एफआईआर संख्या 4/2024, आरोप पत्र पेश किया गया है। अनवर ढेबर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया है। कोर्ट ने आगे कहा कि एफआईआर और ईसीआईआर के अवलोकन से, यह नहीं कहा जा सकता है प्रथम दृष्टया किसी भी प्रकार का अपराध नहीं हुआ है। इसके अलावा, जांच के दौरान जो सामग्री एकत्र की गई यह दर्शाता है कि अभियुक्त द्बारा किये गये अपराध की प्रकृति ने राज्य के खजाने को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया है। घोटाले की अनुमानित आय लगभग रु. 2161 करोड़ है। एफआईआर में नौकरशाहों, राजनेताओं समेत 70 लोगों के नाम हैं। वर्तमान मामला एक संगठित अपराध जिसे तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने की जरूरत है । एसीबी ईओडब्ल्यू या ईडी की कार्रवाई सही पाई गई है । पीएमएलए के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं है। इस न्यायालय द्बारा हस्तक्षेप के लिए कोई मजबूत मामला नहीं बनता है। उच्चतम न्यायालय द्बारा पहले भी खारिज किया जा चुका है। इसके साथ कोर्ट ने सभी 13 याचिकाओं को खारिज किया है। इसके साथ कोर्ट ने आरोपितों को पूर्व में दी गई अंतरिम राहत को भी निरस्त किया है।
