बिलासपुर. स्कूलों के जर्जर भवनों को लेकर चल रही जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शासन व स्कूल शिक्षा सचिव से शपथपत्र पर स्कूल भवनों को ठीक करने के बारे में प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मामले में कलेक्टर को ही जिम्मेदारी दिए जाने के जवाब पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कलेक्टर कहा कहा देखे, शिक्षा सचिव को भी तो कुछ करना चाहिए। सचिव क्या कर रहे।
प्रदेश भर के शासकीय स्कूलों में से अनेक स्थानों पर भवन जर्जर हो चुके हैं । बारिश के समय इनकी हालत और भी खराब हो जाती है । कुछ सप्ताह पहले ही एक सरकारी स्कूल में बाथरूम का छज्जा किसी छात्र के उपेर ही गिर गया । इसके अलावा करीब साल भर पहले भी एक छात्र बन रही रसोई के बर्तन से बुरी तरह जल गया था । इस तरह के समाचारों के सामने आने पर हाईकोर्ट ने संज्ञान में लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की है। बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिविजन बेंच में सुनवाई हुई
सब कागजों पर ही है….?
मुख्यमंत्री शाला जतन योजना में 1837 करोड़ सत्र 2022 – 23 में शासकीय स्कूलों के लिए जारी किया गया है , अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जब यह जानकारी दी , तो चीफ जस्टिस ने कहा कि , इस राशि का इस्तेमाल कहा किया गया । उन्होंने कहा कि, वास्तव में स्कूलों की स्थिति सुधर रही है या सब कागजों पर ही है । शासन ने कहा कि , कलेक्टर अपने डीएमएफ फंड से भी राशि उपलब्ध करा सकते हैं । इस पर डीबी ने कहा कि, एक कलेक्टर कहाँ – कहाँ जाएगा । इस विभाग के जो प्रमुख हैं,शिक्षा सचिव उन्हें मानिटरिंग करना चाहिए कि फंड कहाँ जा रहा है ।
2 हजार 219 स्कूल जर्जर
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि , शासन द्वारा शपथपत्र में दी गई जानकारी के अनुसार 31मार्च 2024 के पहले सरकार ने जर्जर और सुरक्षित स्कूलों की गिनती कराई थी । इसमें 2 हजार 219 स्कूलों को डिस्मेंटल करना था । 9 हजार स्कूलों को रिपेयर करना था । इन स्कूलों के लिए फंड स्कूल जतन योजना और डीएमएफ फंड से ही यह इंतजाम करना है ।
